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जिनके माथे पर लरजते पसीने,
धूप हो सर्दी हो बारिश उसमें अपने
परिश्रम से अपने और अपने परिवार के
लिए दो वक्त की रोटी की जद्दोजहद में
लगे ये कर्मवीर हमारे देश के मजदूर हैं ।
जिनके मेहनत और कर्म से बड़ी बड़ी इमारतें
चौड़ी चौड़ी सड़कें, रेल, जहाज , बस अड्डा
देश में जो भी विकास का परिदृश्य है,
हमारे कर्मवीर मजदूर भाइयों के मेहनत
और परिश्रम का
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