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“मैं चिराग हूँ “
मैं चिराग हूँ !
मैं खुद जलकर
औरों को रोशन करता हूँ,
मैं चिराग हूँ
जलना ही मेरी नियति है,
खुद अंधेरे में रहकर,
औरों को रोशनी देता हूँ,
मैं सदा जलता हूँ
इस धरा के तम को मिटाने
का प्रयास करता हूँ ।
मैं चिराग हूँ ।
मेरे विश्वास का तेल खतम
हो रहा है,
फिर भी अपना देह जलाकर
अंधेरा मिटाने का अथक
प्रयास करता हूँ,
मैं चिराग हूँ ।
मैं सदियों से जलता रहा हूँ,
इस धरा के तम को मिटाने को,
अंधेरों की इस काली परछायी को
मिटाने का प्रयास करता रहा,
इस धरा तो क्या जीवन का अंधकार
मिटा ना सका,
आज तक मैं जीवन को रोशन .
कर ना सका, अफसोस !
चारों तरफ तम की छाया है,
मैं जलता रहा पर अंधेरा छाया है ।
मैं चिराग हूँ, जलता रहा सदियों से,
जलता रहूंगा सदियों तक,
जब तक तम है तब तक ।।
जब तक तम है तब तक ।।
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