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मेरे जीवन का मकसद क्या
बताओ प्रभु,
मैं समझा नहीं मैं आया ही क्यों,
मैं अज्ञानी बन भटकता रहा जीवन भर
मेरे जीवन का मकसद ना समझा मगर,
एक लालच की चादर से लिपटा रहा
जीवन भर अंधेरे में भटकता रहा,
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