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मेरे जीवन का मकसद क्या
बताओ प्रभु,
मैं समझा नहीं मैं आया ही क्यों,
मैं अज्ञानी बन भटकता रहा जीवन भर
मेरे जीवन का मकसद ना समझा मगर,
एक लालच की चादर से लिपटा रहा
जीवन भर अंधेरे में भटकता रहा,
एक रोशनी की रेखा दिखाओ प्रभु,
मेरे जीवन का मकसद क्या
बताओ प्रभु ।
आप सृष्टि की निर्माता पालनहार प्रभु
आपके चरणों में झुकता हूं , हे स्वयंभू !
एक आशीर्वाद की छाया जो मिल जाए,
मैं अज्ञानी हूं, जीवन संवर जाए ।।
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