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महंगाई के मार से भईया
जिंदगी भईल बेकार भईया
बढ़ल बेरोजगारी ना बा कोई कमाई
ऊपर से होलिका माई का चढल बुखार भईया,
घर घर का हाल यही जिंदगी बदहाल भईल
रोटी के जुगाड में बटोही का हाल भईल
सरकार के पांच किलो अनाज से
काऊनो राहत ना मिलत बा,
महंगाई सुरसा बनके गरीबन के खात बा,
ऊपर से रंगों के खर्चा बाढ़ भईया
महंगाई के मार से भईया
जिंदगी भईल बेकार भईया ।
मुफत के राशनवा से सरकार का बहनवा बा
महंगाई पर ना कोई राहत का पयनवा बा
जिंदगी के गुजर खातिर ना एको रुपइया भईया
महंगाई के मार से जिंदगी बेकार भईया ।।
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