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कुछ खो गया इस बदलती दुनिया में
ढूंढता फिरता हूं इधर उधर
प्यार मोहब्बत भाई चारा दूर हो चला
इंसानियत से,
इंसान इंसान का दुश्मन बन बैठा
कदम कदम पर,
चारों ओर कोलाहल मचा अपने वजूद का
सियासत में उलझे हैं सभी जाएं किधर,
सुख शांति सुकून नहीं किसी को
खुद को ढूंढता फिरता हैं इंसान उम्र भर,
कुछ खो गया इस बदलती दुनिया में
ढूंढता फिरता हूं इधर उधर ।।
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