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कुहू कुहू कोयल बोले

कानों में अमृत रस घोले,

देती है संदेश नव प्रभात का

प्रकृति के इस मनोरम सुहास का,

छोड़ो जो बीत गया आगे स्वागत करो

विहंगम नव प्रभात का,

हर दिन नई शुरुआत करो

अपने कर्म पथ का वरण करो

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