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हमारे जिंदगी के किरदार अलग अलग होते हैं
कभी वफादार तो कभी गुनहगार होते हैं,
हर इंसान अपने नजरिए से तस्वीर बना लेता है
किसी के लिए दोस्त तो कोई गैर समझ लेते हैं,
हम खुद को किसी के नजरों से क्यों देखे
हम तो खुद को अपना किरदार बना लेते हैं ।
वक्त के साथ हर किरदार बदल जाता है
औरों के लिए नजरंदाज का पैमाना बन जाता है,
किसी के वजूद का कोई हश्र नहीं
एक धुंधली तस्वीर का अक्स रह जाता है ।।
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