
Share0 Bookmarks 71 Reads0 Likes
इंसान अपने ही कर्मों से अपनी
पहचान बनाता है,
हमारे कर्म ही हमारे व्यक्तित्व का
परिचायक बनते हैं,
बांस देखा है आप सबने,
उसी बांस को चीर कर तीर बनाकर,
औरों को घायल करने का औजार
बनाया जा सकता
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments