
Share0 Bookmarks 30 Reads0 Likes
यह कलयुग है भाई गुनाहगार ऐश करते हैं,
ईमानदार दर्द सहते हैं,
जो शराफत से जीना चाहते हैं गुमनाम रहते हैं
जिन्होंने शराफत छोड़ दी वही तो शहंशाह बनते हैं ,
कोई शिकवा नहीं कलयुग के इस गुण का भाई,
कोई तो है जो कलयुग के इस युग में सरनाम है भाई,
वैसे भी कहावत सही है;
रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा,
हंस चुगेगा दाना दुकना कौआ मोती खायेगा ।
कल हम सबने देखा एक आतंकवादी यासीन मलिक
के सजा के समय देश की सारी मीडिया पल पल की
अपडेट दे रही थी, जैसे वह कोई मसीहा हो !
यही है कलयुग की जो मर्डरर, टेरेरिस्ट हैं उनके उनको
देश की मीडिया कितना फुटेज दे रही है ।।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments