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जनता कैसे भूल जाए अपनी त्रासदी
कोरोना काल की बेहिसाब दर्द की,
शहरों से गांवों को पलायन करते लोग
अपने बीवी बच्चों सहित पैदल
चलते लोग,
भूख प्यास थकान की वो बेबसी
अपने सामने मर रहे साथियों की
त्रासदी,
सरकारें कुछ न कर सकी मूक
दर्शक बनी रही,
सड़कों रेलवे ट्रैकों पर जिंदगियां
मर रही,
कोई कैसे भुला सकेगा इस हाहाकार
को, अपने अजीज के मातम की
इस याद को,
जो सरकार मसीहा ना बन सकी
अवाम की ,
कैसे भूल जाएं हम कोरोना की
त्रासदी, कोराेना की त्रासदी ।।
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