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कहने को कुछ भी कह जाते हैं लोग

अपने अपने गुनाह पर पर्दा डालते हैं लोग

इल्जाम एक दूजे पर लगाते हैं रहनुमा

अपने जिम्मेदारियों से नजरें चुराते हैं लोग ।

अपराध को बढ़ावा राजनीति का छलावा

अपराधी मानसिकता से जीत का दावा

लोकतंत्र में सत्ता ही सियासत की सच्चाई

अपराधियों की सत्ता में घुसपैठ है भाई ।

कहने के लिए खुद को ईमानदार हैं हम

हम बेदाग हैं राजनीति का परचम

तय करने वाला कौन ईमानदारी का

पैमाना,

जब हमारे ही इशारे से झुकता है जमाना ।।

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