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“जीवन की जिजीविषा “
समंदर के किनारे ,
रेत पर बडी शिद्दत से
तस्वीर बनाया,
लहरों का ऐसा रेला आया,
जिसमें रेत का महल बह गया,
हमारे सपने भी रेत पर बनी,
तस्वीर होते हैं,
जो वक्त की आंधी में,
रेत की तस्वीर जैसे बिखर
जाते हैं और एक कसक दे जाते हैं,
जब सपने हकीकत से टकराते हैं,
वक्त के बेरहम पंजो में सिमट,
कर रह जाते हैं ।
जीवन में सपने टूटते हैं,
नये सपने बनते हैं,जीवन रुकता नहीं,
जीवन यात्रा है जिसमें,
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