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जीवन नदी की धारा इसे बहने दो
मंजिल तक पहुंचने का मार्ग स्वयं चुनने दो
इसे बहने दो,
कंकड़ पत्थर झाड़ झंखाड़ हर बाधा को
पार करने दो, इसे बहने दो ।
प्रचंड धारा के प्रवाह में पत्थर की शिला
बह जाती है,
कंकड़ पत्थर मिट्टी भी
खुद राह बन जाती है
रोक सके कोई व्यवधान ऐसा किसमें साहस है
मंजिल तक जाने से रोक सके
किसमें इतना दुस्साहस है ।
जीवन धारा के इस प्रवाह को अविरल चलने दो
इसे बहने दो ।।
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