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जिन्दगी जंग बनती जा रही,
खुद से खुद से लड रहे दिन रात,
ना कोई हार जीत का निर्णय,
अभी तक, बस जंग जारी है
अभी तक ।
जंग जारी है अभी तक ।
अपना ही वजूद लगा है दाव पर,
गलत है या सही इस बात पर,
जिन्दगी जुआ बन गयी इस कदर,
हार गया सच ,जीत ना सका अब तक,
खुद से खुद में ठन गया महाभारत नया,
मैं ही शकुनि,मैं ही पांडव, मैं ही
दुर्योधन, कृष्ण तो आये नहीं अब तक,
कृष्ण ना आयें तो सच हार जायेगा,
जिन्दगी की बची अवधि,
वनवास पायेगा, वनवास पायेगा ।।
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