
जम्मू काश्मीर से धारा ३७० को हटाए गए दो साल हो गए , ५ अगस्त २०१९ को RAJYSABHA में एक ऐतिहासिक जम्मू- काश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ पेश किया , जिसमे जम्मू काश्मीर राज्य से CONSTITUTION ARTICLE 370 हटाने राज्य का विभाजन जम्मू काश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप करने का प्रस्ताव किया गया।
धारा ३७० क्या है ? अनुच्छेद ३७० संविधान के २१ वे अध्याय में अस्थायी विशेष संक्रमणकालीन और अतिरिक्त विधायी प्रक्रिया के रूप में शामिल किया गया। इसके अनुसार भारतीय संसद को जम्मू काश्मीर के बारे रक्षा , विदेश मामले संचार विषय में ही कानून बनाने का अधिकार है।
धारा ३७० हटाने पर प्रतिक्रिया :
चूँकि यह विशेषाधिकार जम्मू काश्मीर के निवासियों को संविधान द्वारा मिला था , निरस्त किये जाने का प्रभाव वहां के राजनैतिक दलों और राजनेताओं का विरोध स्वाभाविक था अतः कानून व्यव्स्था को ध्यान में रखते हुए सभी प्रमुख राजनेताओं को नजबंद कर दिया गया ; फारूक अब्दुल्ला , उमर अब्दुल्ला , महबूबा मुफ्ती आदि।
सर्वदलीय बैठक का उद्देश्य :
दिनांक २४ जून २०२१ दिन वृहस्पतिवार समय ३ बजे अपराह्न प्रधानमंत्री आवास पर हुई , जिसमे १८ राजनेताओं ने भाग लिया। इस मीटिंग का उद्देश्य एक सार्थक निर्णय जम्मू काश्मीर के विकास एवं लोकतान्त्रिक व्यवस्था को सर्व सम्मति से बहाल करना था।
यह सार्थक प्रयास माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा पहल की गयी जिसका सभी राजनेताओं ने स्वागत किया , आने वाला वक्त बताएगा की इसका जम्मू काश्मीर के राजनैतिक , आर्थिक , सामाजिक व्यस्था पर क्या प्रभाव होता है।
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