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हे कर्मवीर तुम उठो,
आलस्य त्याग कदम बढ़ाओ,
मंजिल तुमको बुला रही है,
तेरे ही कर्मक्षेत्र का आह्वान
तुमको सुना रही है ।
अपने कर्म की फूंको बिगुल
युद्ध का आगाज करो,
जीत हार का प्रश्न नहीं
अपने लक्ष्य का संधान करो ।
वीर पुत्र धरती पुत्र हो कर्म तुम्हारा
पुकार रहा है,
अपने हिस्से का कर्म चुनो,
जीवन लक्ष्य जगा रहा है ।।
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