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हाथ की लकीरों में किस्मत का खजाना,
हमारे धर्मशास्त्रों का ऐसा है मानना,
गीता में श्रीकृष्ण के उपदेश कुछ कहते हैं,
कर्म ही श्रेष्ठ है, हमारे कर्म ही,
हमारे भाग्य का निर्धारण करते हैं ।
सवाल यह है कि ?
जो इंसान किसी दौलतमंद के यहां जन्म लिया,
वह तो जन्म के साथ ही दौलतमंद है,
उसका कर्म तो कुछ भी नहीं ?
तो क्या उसके पूर्व जन्म के परिणाम हैं ।
जैसा कि हमारे धर्म ग्रंथों में पूर्व जन्म ,
की व्याख्या की गयी है ।
इंसान अपनी सहूलियत के हिसाब से,
इन तर्कों को स्वीकार करता है ।
जय श्री कृष्ण ।। जय श्रीराम ।।
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