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हम जनता हैं
हमारी कौन सुनता है,
माना की हमारा मत लोकतंत्र की धुरी है,
संविधान और सरकार की हर व्यवस्थाएं
जन लाभ के लिए जरूरी हैं
मगर सरकारों का दिखावा वादों का दावा
मात्र चुनाव जीतने का छलावा है ।
अपने शानो शौकत में मशगूल
राजनेता सदा करते हैं धोखा
खुद तो मलाई
पर जनता को पांच किलो अनाज
की रहनुमाई,
कमल है ना !
लोकतंत्र और सरकार की भलाई ।
जब हमारे ही चुने नुमाइंदे
हमें देते हैं धोखा
कुर्सी छीन लेते हैं,
हमारा इतिहास है अनोखा ।।
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