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हर्षोल्लास की गूंज है फिजाओं में,
नव वर्ष का उत्साह इंसान तो क्या
आज इन हवाओं में है,
प्रकृति भी उल्लास में खिल गई ऐसे,
जैसे नई नवेली दुल्हन सज धज कर,
छुई मुई बन गई जैसे,
ये पक्षियों का कलरव ये खूबस
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