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गुम हो गया जो वो कुछ और नहीं
मेरे ख्वाबों का ताबीर है,
जिसे पाना मेरी तकदीर नहीं
मेरे तबदीर का साहिल है ।
वक्त के पथरीले राहों पर चलता रहा
लाख ठोकरें खाया फिर भी संभलता रहा
मेरे तकदीर की फितरत है
या तबदीर की नाकामी,
मैं जहां से चला आज भी उस मोड़
पर शामिल हूं ।।
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