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ना करो इनकार हर बातों का
समझो लफ्जों की कीमत
सियासत नफरत के मुखौटों से
ना हो अल्फाज बातों का ।
जो जायज है उसे नाजायज ना ठहराओ
आजादी के अमृत काल में
गुलामी के एहसास को
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ना करो इनकार हर बातों का
समझो लफ्जों की कीमत
सियासत नफरत के मुखौटों से
ना हो अल्फाज बातों का ।
जो जायज है उसे नाजायज ना ठहराओ
आजादी के अमृत काल में
गुलामी के एहसास को
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