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ना करो इनकार हर बातों का
समझो लफ्जों की कीमत
सियासत नफरत के मुखौटों से
ना हो अल्फाज बातों का ।
जो जायज है उसे नाजायज ना ठहराओ
आजादी के अमृत काल में
गुलामी के एहसास को मिटाओ ।
मुगलों की विरासत हो या अंग्रेजों की
हिकारत,
मिटा दो हर दिलों से इस एहसास
की सिलवट,
आजाद हिंदुस्तान का हर नाम हिंदुस्तानी
यही गौरव हमारा है आजादी की निशानी ।।
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