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घर की प्रतिदिन एक एक दीवारें
टूट रहीं हैं,
क्या ये घर बिखर जायेगा जिस घर
को बनाने में हमारे पूर्वजों ने बलिदान दिया,
रोज रोज नफरती अल्फाजों से घायल
होता ये सुख शांति का मंदिर
प्रतिदिन एक एक मूल्यों से बिखर रहा है,
जिस घर की दीवारों में एक सौ पैंतीस पैंतीस<
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