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दुश्मन है गरीबी दोष अपना ही तो है
ईमानदारी अपना उसूल है कसूर अपना ही तो है,
हम ठगते नहीं किसी को हम आम अवाम हैं
हम मुफलिसी में जीते हैं कसूर अपना ही तो है,
बहते हुए नदी में जब तैर नहीं सकते
गंदा पानी है ये कह उतर नहीं सकते
भ्रष्टाचार की गंगोत्री है अमीर होने का दरिया
आकंठ डूबे हुए हैं दौलतमंदों की दुनिया,
गरीब ही जीना है मगर जेल नहीं जाना
पैसा कमाने के लिए गलत राह ना अपनाना
सुखी रोटी ही सही पर सुकून चाहिए
बेदाग दामन हो अपना यही शांति चाहिए ।।
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