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गांव छोड़ शहर हम आए
आंखों में सपनों के दीप जलाए,
मेहनत से हर काम करेंगे
अपने अरमानों के हर ख्वाब भरेंगे,
सच्चाई से जब मुलाकात हुई
देख हकीकत मन घबराए
गांव छोड़ शहर हम आए ।
गांव की अपनी यादों में खोए
प्रेम परस्पर भाई चारा की मीठी यादों को संजोए
गांव की चहल पहल गलियों में
खेतों खलिहानों में, बाग बगीचा के मनभावन में
प्रेम मोहब्बत के पल पल खोए,
मां के प्यार भरे आंचल का याद करे उस पल का
अब तो बस यादों में खोए अकेलेपन का
दर्द संजोए ।
शहर की इस भाग दौड़ में रोजी रोटी
के भंवरजाल में उलझे सपनों के ख्वाब संजोए
गांव छोड़ शहर हम आए ।।
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