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हमने तो नहीं सोचा था,
हमारा भारत ऐसा होगा,
जहां धर्म मजहब के नाम पर
इंसानियत का कत्ल होगा ।
नफरत की ऐसी छाया मानवता
पर कैसे छाया,
जहां भाई भाई लड़ रहे हैं,
कौन विषधर बनकर आया,
गंगा जमुनी तहजीब के
हम सब थे एक पुजारी,
हर एक के सुख दुख के साथी
थे, ऐसी थी हमारी यारी ।
घायल क्यों हो रहा है
हम सबका भाई चारा
ऐसा तो ना सोचा था
भारत होगा हमारा ।।
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