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जिंदगी मुझ पर भी एक एहसान कर दो
कुछ पल सुकून के मेरे भी नाम कर दो,
उलझनों के इस जाल में कब तक उलझे हम
मुझे भी जीने के हसीं पल इनाम कर दो ।
माना की तेरे दामन में फूल कम कांटे हैं ज्यादा
इन कांटों में चलते चलते हर दर्द किया साझा
अब थक गया इन दुश्वारियों के दर्द सहते सहते
एक बार तो इन फूलों की बगिया मेरे नाम कर दो ।।
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