द्युत अधर्म's image
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चौसड़ शुभ नहीं है यह धर्मराज

नहीं जानते,

शकुनी के कुचक्र को सब थे जानते,

फिर भी खेला चौसड राज पाट

पत्नी हार गए,

तेरह वर्ष के वनवास को सब पांडव

चले गए ।

जो खुद धर्मराज थे अधर्म को जानते

द्वुत की मर्यादा के लिए वन को जाते,

शकुनी के इस कुचक्र को माधव भी ना

रोक पाए,

नियति के खेल को स्वयं ना रोक पाए,

अधर्म का नाश करने को महाभारत

रचा गया,

अधर्म का सर्वनाश कर धर्म स्थापना हुआ ।

अधर्म जब भी बढ़ता है ईश्वर ने जन्म लिया

मानवता और धर्म का संदेश दुनिया को दिया ।।

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