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दोस्त जब दुश्मन बन जाए
छिपे हुए राज को सरेआम कर जाए
रिश्तों की मर्यादा तार तार हो जाती है,
दोस्ती बदनियती का परिणाम बन जाए,
कभी कभी अपने ही अपने को
बदनाम कर देते हैं,
अपने संबंधों की एक एक तुरपाई
को खोल देते हैं ।
सच है दोस्त दुश्मन जब बन जाए,
कुमार विश्वास और केजरीवाल
की मिसाल बन जाए ।
जब रिश्तों की लकीर लांघ जाते हैं
तब सियासत का सामान बन जाते हैं ।।
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