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दोराहे पर खड़े हो देखते इधर उधर
दोनो तरफ है मुश्किल जाएं किधर
इंसान आज परेशान है मंजिल से अनजान
कोई उम्मीद की रोशनी दिखाती नहीं जनाब
हर शख्स के चेहरे खुद से करे सवाल
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दोराहे पर खड़े हो देखते इधर उधर
दोनो तरफ है मुश्किल जाएं किधर
इंसान आज परेशान है मंजिल से अनजान
कोई उम्मीद की रोशनी दिखाती नहीं जनाब
हर शख्स के चेहरे खुद से करे सवाल
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