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धुंआ है सब कुछ जिसमें हम रह रहे हैं
मुश्किल में हैं सभी पर कुछ ना कह रहे हैं
चारों तरफ सन्नाटा ना कोई हलचल है
मशरूफियोंं में है जीवन फिर भी चल रहे हैं ।
जीना है अगर जीवन तो रब की यही मर्जी
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