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बुल बुले उठने लगे हैं मतदाताओं के खयाल में
चुनावी वादों के राजनीतिक माहौल में
सब दलों के अपने अपने लुभावने वादें है
मतदाता समझ नहीं पा रहा किसके सच्चे
किसके झूठे वादे हैं,
सच तो यह है कि जनता हर बार इनमें उलझ
जाती
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