चुनाव के दांव's image
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चुनाव आते ही सियासी दांव चले जाते हैं

अपने अपने जीत के लिए संदेश दिए जाते हैं

जनता तो मालिक है कुर्सी दिलाने की

जनता में अपने कामों की लिस्ट बताने की,

मंदिर बनाया सड़क बनाया शौचालय बनाया

माताओं बहनों को गैस सिलिंडर दिलाया

पांच किलो अनाज फ्री गरीबों में बांटा

अस्सी करोड़ लोगों को भूखा सोने ना दिया

जन कल्याण ही हमारा ध्येय करके दिखा दिया

सब दलों के अलग अलग जीत के जन वादे

इनमें ही सियासत है चुनाव जीतने के इरादे ।

जनता भी नाप तौल करती है हर चुनाव

जाति धर्म मजहब का खेल होता है हर चुनाव

अवाम ही चौसड है अवाम ही मोहरा

जीत हार के खिलाड़ी का हर दांव है गहरा ।।

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