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तेरी सत्ता तेरी चुप्पी परेशान करती है
कुछ तो है जो तुम्हें बेजुबान करती है
माना की तू सियासत का सितारा है
मगर कब धूमिल हो जाए चमक सियासत
आगाह करती है ।
ये सत्ता ये कुर्सी किसी की जागीर नहीं ये
जनता की थाती है,
जो कुर्सी आज तुम्हारी है तो कल किसी
और की साथी है,
इसलिए चुप रहकर सवालों से बच नहीं सकते
क्योंकि चोरी की जिम्मेदारी चौकीदार पर
आती है ।।
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