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चक्रव्यूह में घिरा हुआ है
आज हर इंसान,
सबके अपने अपने युद्ध हैं
उनसे लड रहा है हर इंसान,
कर्म क्षेत्र में भरी चुनौती,
मिलता नहीं परिणाम,
दौड़ रहा है हर एक प्राणी,
मंजिल से अंजान,
दुश्मन से सब घिरे हुए हैं
संघर्ष सदा अविराम,
जीत हार का प्रश्न नहीं
यह जीवन पथ संग्राम,
चक्रव्यूह में घिरा हुआ है
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