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ये बिंदास परिंदे हैं उड़ते ही जाना है
जमीन से क्षितिज की दूरी ठिकाना है,
पंख इनके हैं हौसला भी इनका
जमीं से क्षितिज इनका आना जाना हैं ।
ये थकते नहीं कभी कुछ पल रुकते हैं
विश्राम के बाद मंजिल को चलते हैं
इनमें एक हसरत है सारी कायनात
है इनकी,
स्वच्छंद परिंदे हैं इनकी आजादी है इनकी,
भूख प्यास की फिकर नहीं भूमंडल है इनका
धरती से आसमान का हर तिनका है इनका,
आजाद हैं आजादी ही इनका ताना बाना है
बिंदास परिंदे हैं उड़ते ही जाना है ।।
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