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भूल जाते हैं अपने मुफलिसी के दिन
आज सफलता की चकाचौंध पर इतराते हैं,
एक इंसान मसीहा बनकर हाथ बढ़ाया
आज उसको भूल जाते हैं,
कर्ज के बोझ से जब दबे थे तो एक एक
पल जिंदगी भारी लगती थी,
किसी ने हाथ बढ़ाकर सहारा दिया,
उसके अहसानों को
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