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भ्रष्ट तंत्र है भ्रष्ट मंत्र है भ्रष्टाचार का व्यापार
रग रग में घुल गया है भ्रष्ट हुई सरकार
जन सेवा का स्वांग रचाते करते भ्रष्टाचार
लाखों करोड़ों की हेरा फेरी करते जनता है लाचार,
डाल डाल पर बाज़ बैठे हैं लोकतंत्र आधार
सत्ता के मद में डूबे करते कारोबार,
झूठी कसमें वादे झूठे करते बारंबार
भ्रष्टाचार में डूब गए हैं लोकतंत्र सूत्रधार ।।
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