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वैसे तो राजनीति और भ्रष्टाचार आम है
हर राजनैतिक दल आरोप प्रत्यारोप लगाते हैं
और अवाम को संदेश देते हैं की हम सभी
भ्रष्टाचार में लिप्त है,
जब जब जो दल सत्ता में आया है भ्रष्टाचार
की गंगोत्री में डुबकी लगाया है ।
बहुत कंफूजन है आम अवाम में हम चुने किसको
जब राजनीति भ्रष्टाचार एक दूजे के पर्याय
फिर विकल्प का अभाव ,
बस जिस दल का प्रचार प्रसार जनमत उसके
अनुसार ,
दौलत के ढेर से सत्ता का कारोबार
प्रचार जनसमर्थन ही सत्ता का आधार ।
सता पाना ईमानदारी का आधार नहीं
राजनीति में भ्रष्टाचार का होना किसी को
इनकार नहीं ।।
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