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बड़ा अफसोस है यारों
सियासत के कद्रदानों से,
भीड़ बनकर खड़े हैं सभी
अपने मेहराबानों से,
ये कैसा माहौल है जिसमें हर
इंसान है गाफिल
किसी को अपनी चिंता नहीं
बस एक भीड़ है शामिल,
कभी नारे लगाते हैं कभी उन्माद No posts
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