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भावनाओं के इस समंदर में यूं कदर ना बह जाओ
अपनी शख्सियत की रहनुमाई भूल जाओ,
इंसान की पहचान इंसानियत है भाई
कहां मजहब के तकरार म
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भावनाओं के इस समंदर में यूं कदर ना बह जाओ
अपनी शख्सियत की रहनुमाई भूल जाओ,
इंसान की पहचान इंसानियत है भाई
कहां मजहब के तकरार म
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