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भावनाओं में जो बह गया
समझो उसका जीवन ठहर गया,
आज लोग प्रैक्टिकल हो गए हैं,
रिश्ते नाते भावना सब निरर्थक हो गए हैं,
यह कमजोरी है जो खुद के विकास के
लिए बाधक है,
इसलिए हर इंसान इन फालतू की बातों
से दूर,
खुद के भविष्य में मशगूल,
इन किताबी बातों से दूर बहुत दूर,
एक खुद की दुनिया बनाता है
उस चारदीवारी के अंदर भावना रिश्तों
का प्रवेश वर्जित होता है ।।
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