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सब कुछ पा लिया फिर भी बेचैन है
इंसान की हसरतों का कोई अंत नहीं है
जितनी भी जिंदगी की लकीर लम्बी है यहां
उतने ही पाने की हवस अंत हीन है ।
हर कोई इस सच्चाई से वाकिफ है यहां
जीवन में जो कुछ भी हासिल है रह जाना है यहां
फिर भी हसरतों का कोई छोर नहीं है
जिंदगी की लकीरों पर कोई जोर नहीं है ।
जाना है एक दिन चंद कपड़ों में लिपटकर
जो कुछ भी हासिल किया रह जाना यहीं पर
फिर इतना उद्यम क्यों किया जब हाथ खाली है
इस मिट्टी में मिल जाना ही जीवन की थाली है ।। बेचैन
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