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बातों बातों में बातें बढ़ जाती है
बेवजह की मुसीबत बन जाती है
कहना सुनना भी है पर समझना भी है
नासमझी में रिश्तों की मर्यादा घट जाती है
बातों बातों में बातें बढ़ जाती है ।
दिल के रिश्ते बड़े नाजुक होते हैं
एक हल्की भी ठेस में बिगड़ जाते हैं
शक संशय जब आ जाते कभी
एक विघटन की आहट समा जाती है,
बातों बातों में बातें बढ़ जाती हैं ।
जिंदगी बिन रिश्तों के निर्जन वन
जिसमें जीवन की निरसता नहीं कोई उमंग
बिन फूलों के खुशबू के कैसा मधुबन
जहां रिश्तों की किलकारी हो वही जीवन
जिससे जीवन की बगिया खिल जाती है
बातों बातों में बातें बढ़ जाती है
बेवजह की मुसीबत बन जाती है ।।
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