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बारूद के ढेर पर बैठ कर
माचिस क्यों जला रहे,
अपने अस्तित्व की राख से
क्यों खुद को जला रहे,
इंसान जब अहंकार का मशाल बन गया
मानवता और मानव का अस्तित्व ढह गया
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बारूद के ढेर पर बैठ कर
माचिस क्यों जला रहे,
अपने अस्तित्व की राख से
क्यों खुद को जला रहे,
इंसान जब अहंकार का मशाल बन गया
मानवता और मानव का अस्तित्व ढह गया
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