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Kavishala DailyPoetry1 min read

बाजार का संसार

Sahdeo SinghSahdeo Singh April 24, 2023
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अब तो बाजार में सब कुछ बिकता है,

जमीर बिकता है शरीर बिकता है

बिक जाती है सरेआम इंसानियत सारी

बिक जाना है आज इंसान की लाचारी,

दौलत भी चाहिए रसूख भी चाहिए

गुमनाम जिंदगी को पहचान चाहिए,

इन ख्वाहिशों को हकीकत की उड़ान

चाहिए,

बिकने के लिए उचित दाम चाहिए ।

खरीददार भी बाजार में बोली लगाते हैं

अपने जरूरत की पहचान करते हैं

जिसमें उन्हें अपनी पसंद का सामान

दिखता है,

बोली लगाते हैं उनका सम्मान बिकता है ।।

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