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बदलने को बेताब है शमां
बदल रहा है आसमां का मिजाज धीरे धीरे
गुफ्तगू भी है बेचैनी भी है,
खिसक रहा है आसमां का ताज धीरे धीरे,
बेतकल्लुफ ना हो ऐ आसमा
एक दिन तूं भी सिर झुकाएगा
तेरे अनगिनत तारे जो चमक बिखेरते थे
एक दिन टूटकर साथ छोड़ जायेंगे ।।
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