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अवाम को दुकान का सामान बना दिया
राजनेताओं ने इंसान को सामान बना दिया
वादों की पोटली से लुभाते हैं ये
जाति धर्म की राजनीति में उलझाते हैं ये
सत्ता के चौसड़ का मोहरा बना दिया
अवाम को दुकान का सामान बना दिया ।
भूख गरीबी बेरोजगारी को हथियार बना दिया
लोकतंत्र को सौदा का आधार मान लिया
जनता से लेकर पैसा जनता में बांटते हैं ये
अपने नीति को जन कल्याण बताते हैं ये
ये सियासत के खिलाड़ी हमें अनाड़ी बना दिया
अवाम को दुकान का सामान बना दिया ।।
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