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नफरत और सियासत का औजार
ना हैं हम,
हम हिंदुस्तान की अवाम हैं औजार ना हैं हम,
अपने देश की मिट्टी से जुड़े अवाम हैं हम,
हम सबके रगों में बहता हिंदुस्तान हैं हम ।
जाति धर्म की सियासत से हम बंट नहीं सकते
इंसानियत हमारी विरासत हम लड़ नहीं सकते,
मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारा इबादत का जरिया
इसमें हमारी एकता और प्रेम का दरिया,
हम सब इस मिट्टी के खिले फूल हैं भाई
एक गुलदस्ता बहुरंग फूलों के अमन की तरुणाई,
गुलजार हमसे है इस चमन की बगिया,
इसमें ही खिले हैं , इसमें मिट जाना ही जीवन
का जरिया ।।
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