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सिर झुकाओ वहां जहां इज्जत मिले
सिर झुकाना अगर कमजोरी बन जाए
उस स्थान से दूर ही रहा जाए,
जब नम्रता खुद की अपने उपहास का
वजह बन जाए,
उन रिश्तों से दूर होना ही
बेहतर समझा जाए ।
जहां सम्मान को मान ना मिले
उस बोझ को सहना दर्द का कारण बने,
तोड़ कर हर बंधन आगे बढ़ना होगा,
अपने आत्मसम्मान को बचाना होगा ।।
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