आशा ज्योति's image
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इन आखों में उदासी है मगर,

एक आशा का दीप जलाये रखा है,

वक्त कितना भी विपरीत हो मगर,

एक विश्वास बनाये रखा है ।

समय रुकता नहीं कभी,

वह तो स्वयं ही कट जाता है,

रात कितनी भी लम्बी हो मगर,

सूरज निकलते प्रकाश फैल जाता है ।

यही नियत है प्रकृती की,

यही कुदरत की सच्चाई है,

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